चुदाई का मौसम – Indian Sex Story

बॉब्बी ने अपना सिर काम से काम सौ वी बार खिड़की से बाहर घुमाया होगा , और अपनी कार से नापी हुई सेखदून मीलों तक फैली हुई सड़क पर नज़र डाली होगी . करीब एक घंटे से वो बड़े बड़े पहदून और चट्टानों को ताकते ताकते ऊब गया था . वो और उसकी मम्मी , जो को कार चला रहीं तीन , दोनो पिछले एक घंटे मैं घर से लेकर पढ़ाई दोस्तों और रिस्त्ेदारों सबके बड़े मैं ना जाने कितनी ही बातेवं कर ली होंगी , और दोनो के ही पास बोलने को कुछ नही था , एक शांति का माहौल छाया हुआ था कार मैं .

बॉब्बी को तो बस अब एक ही करीड़ा मैं आनंद आ रहा था और वो था अपनी मा को ताकना , क्यूकी ऐसा करने से उसकी अनंखों को असीम शांति मिलती थी . हालाँकि ये बात उससे बहुत अजीब लगती थी पर उससे अपनी मा बहुत ही आकर्षक और सेक्सी लगती थी .

अपनी उमर के कई लड़कून की तरह उसने भी बहुत सी अडल्ट मॅगज़ीन्स और पॉर्न फिल्म्स देखीं थी , और उसने क्षोस्सीप जैसे फॉरम्स पर हर तरह की कहानियाँ भी बहुत पढ़ी हुई तीन .
पर फिर भी उसकी मा उससे सबसे अच्छी लगती थी , उसके काले लंबे बाल , उसकी गहरी नशीली आँखें , मासूम पर सेक्स छलकता चेहरा बॉब्बी को बहुत अच्छा लगता था , और उसकी मा के बूब्स ……

उफ़फ्फ़ उसकी मा के बूब्स ने उससे बावला बना दिया था . उसकी मा के बूब्स बड़े बड़े और बहुत ही मुलायम थे , इसका मतलब यह नही की वो लटके हुए थे , वो एक गोलाकार लंबाई लिए हुए उपर की और तने हुए भारी भरकम आम की तरह थे .
और पायल हमेशा अबोधपान मे अपने बूब्स बॉब्बी के उपर दबाती रहती थी जिससे बॉब्बी की साँस ही अटक जाती थी . पायल हमेशा बॉब्बी बार बार लड़ से गले लगती रहती थी , और वो प्यार से उससे ‘लिट्ल मास्टर‚ बुलाती थी .
जैसे जब वो स्कूल से आता था तो पायल यह कहकर उससे छिपटती थी की ” आज मेरे लिट्ल मास्टर का दिन कैसा रहा ? ” .
या जब वो सुबह उठकर आता तो पायल ये कहकर ” अर्रे मेरा राजा बेटा कैसी नींद आई तुझे ” अपनी बाँहों मैं भर लेती थी .
और सुबह सुबह तो और भी कयामत होती , पायल सिर्फ़ एक नाइटी जो की फॅशनब्ली महीन नेट के कपड़े की बनी हुई थी और एक पेंटी मैं घर मैं घूमती थी , उससी नाइटी मैं वो उससे हग कराती , और बॉब्बी और उसके पापा का नाश्ता बनती . रात को भी पायल इसी लिबास मैं सोती .
कभी कभी तो पायल ने नीचे पेंटी भी नही पहनी होती , बेचारा बॉब्बी उसकी गड्राई गान्ड को देख कर मचल उठता था , और उससे यकीन होता था की यह वो दिन थे जब उसकी मा ने उसके पापा के साथ रात को चुदाई की थी .
और उन दीनो जब पायल बॉब्बी को गले लगती तो उसके भरे हुए गड्राए मुलायम शरीर मैं से बॉब्बी क एक अजब सी नशीली सी माहेक आती जो वो अपने नातुनून मैं बड़ी शिद्दत से भर लेता था .

बूब्स का साइज़ ज़्यादा बड़े होने की वजह से पायल कभी कभी ब्रा नही पहेनटी थी अपने कपड़ों के नीचे , और बॉब्बी ये एक दम से जान जाता था क्यूंकी पायल की लंबी कड़क चुचियाँ उससे कपड़े मैं से खड़ी हुई दिखाई देती . हालाँकि उसकी चुचियाँ ब्लाउस मैं से खड़ी हुई सॉफ दिखाई देती थी पर फिर भी बॉब्बी आजतक उनके साक्षात दुर्लभ दर्शन नही कर पाया था .
और कभी कभी जब उसकी मा टशहिर्त या टॉप पहेनटी तो बॉब्बी की तो जैसे जान ही निकल जाती थी , पायल के भरे हुए मुममूँ के बीच की घाटी और उसके निपल्स के आसपास्स मुम्आंटी की गोलिईी उससे मदहोश कर देती थी . बड़ी मुश्किल से अपने पर सायं रख के बॉब्बी अपने आप को उन्हे चुने से रोकता था इस ट्रिप पर भी बॉबी अपनी मम्मी को बार बार निहार रहा था , उसके शोख सेक्सी बदन को घुऊर रहा था , जिसकी वजह से पिछले 50 किलो मिटर से उसका लॅंड बुरी तरह से तन्ना हुआ था …………….
बॉब्बी ने नयी नयी घुड़सवारी सीखी थी , आज वो बहुत खुश था क्यूंकी रणदीप चाचा ने उससे बिना किसी मदद के अएलिए ही घोड़ा डोडने दिया था , वो और कुछ फार्म पर काम करते लड़के अपने अपने घोड़े लेकर सैर को निकल पड़े जंगल की तरफ . बहुत देर घूमने फिरने के बाद , सभी लोग वापसी के लिए निकल पड़े , अलग अलग दिशाओं मैं पगडंडियाँ होने की वजह से वो लोग दो दो के ग्रूप मैं बात कर अलग अलग रास्तों से निकल पड़े .

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बॉब्बी के साथ एक और लड़का था कालुआ , पास के गाव से ही था , रास्ते मैं बॉब्बी को बहुत ज़ूरों से पिशाब आया तो उसने कालुआ से कहा
“यार पिशब जाना है .”
कालुआ बोला
“ठीक है बाबू यही पास मैं झड़ी मैं जाके हो आओ .”

पर बॉब्बी एक सिटी का लड़का था , यहा गाव के बिंडसस लोगों की तरह खुल्ले मैं लॅंड बाहर निकाल कर सुस्टते हुए मूतना उससे बहुत शर्मनाक लगता था , इसीलिए वो उन झाड़ीयूं काफ़ी आगे चला गया मूतने , ताकि कालुआ उससे ना देखे ,
वो अपनी पेंट की ज़िप खोलकेर लॅंड निकालने ही वाला था की अचानक उससे बहुत तेज़्ज़ किसी औरात के सिसस्काने की आवाज़ आई ,

” उफफफ्फ़ सस्स्स्सिईईईईईईईईईईईई आहह…….”
सुनकर बॉब्बी चौंक गया , उसने फ़ौरन आवाज़ का पीछा किया , और थोड़ा और आगे जाकर कुछ घनी झाड़ीयूं को हटाकर उसने झाँका, वाहा का सीन देखकते ही उसकी होश उडद गये …….

एक कला मोटा आदमी , सिर्फ़ एक चड्डी पहने हुए किसी के उपर चढ़ा हुआ था .
बॉब्बी ने थोड़ा संभाल कर गौर से देखा तो पाया की वो एक औरात थी , बिल्कुल नंगी , उसके शरीर पर कपड़ा तो क्या गहना नाम की भी एक चीज़ नही थी , उसके बाल बिखरे हुए थे ,
वो मोटा काला आदमी उसकी नंगी सुडौल टाँगों के बीच मैं घुसा हुआ था , और यूयेसेस औरात ने अपनी पिंडलियों से आदमी की कमर जाकड़ न्यू एअर थी , वोही औरात सिसस्कारियाँ ले रही थी ज़ोर ज़ोर से , और बीच बीच मैं अपने दाँतों से होंतों को भी काट रही थी .
वो मोटा कला आदमी आगे पीछे होकर यूयेसेस औरात पर धक्के लगा रहा था , जिससे यूयेसेस औरात बड़े बड़े साँवले बूब्स उपर नीचे हो रहे थे , और वो औरात धक्कोन की ले मैं सिसस्कति जा रही थी ,
बॉब्बी ने आज पहले बार किसी औरात को नंगी देखा था और वो भी इस हालत मैं .
दोनो दुनिया से बेख़बर किसी कुत्ते कुट्टिया की तरह संभोग के परम आनंद मे लीं थे और ज़ोरों ज़ोरों से आवाज़ें निकाल रहे थे , यूयेसेस आदमी का एक उंगल यूयेसेस औरात की गान्ड के छेद मैं भी अंदर बाहर हो रहा था , और वो किस हबशी की तरह यूयेसेस औरात के लाअल सुरख होंठों को नोच नोच के चूस रहा था ,
बॉब्बी को तो जैसे साँप सूंघ गया था वो करीब 5 मीं तक बिल्कुल मूर्ति बनकर उससी जगह खड़ा रहा , पिशब करना तो वो भूल ही गया था .

Doston Aap Kamukkissa me Chudai ka mausam ka anand le rahe hai. Kahani ko jari rakhte hue aage ka maja lijiye.

अचानक यूयेसेस आदमी के धक्कोन मैं तेज़िी आ गयी , और वो औरात ज़ोर ज़ोर से सिसकते हुए हाफने लगी
” हमपफफ्फ हाअ.अया ….आअहह ससिईईईय्ाआआअहह…”

उसने अपने नाख़ून काले आदमी की पीठ मैं ज़ोरों से गाड़ा दिए , और पीठ मैं से खून निकालने लगा , अचानक वो आदमी धाक्के लगते लगते रुक गया और एक ज़ोरदार दहाड़ के साथ यूयेसेस औरात से चिपक गया , यूयेसेस औरात ने भी एक लंबी चीख मारी और निढाल सी पढ़ गयी , उसके थोड़ी देर बाद तक वो दोनो एक दूसरे से चिपक कर हानफते रहे , अचानक वो आदमी धीरे से करहता हुआ यूयेसेस औरात के उपर से हाथ गया .
और ये क्या , वहाँ का नज़ारा देखते ही बॉब्बी एक बार सिहर उठा , वैसे तो बॉब्बी इतना भी बच्चा नही था , जिस बोरडिंग स्कूल मैं वो पढ़ रहा था वहाँ पर उसने ब्लू फिल्म्स और न्यूड लड़कियों की तस्वीरें देखी हुई थी और चुदाई के बहुत से किससे भी सुने हुए थे पर असल इंदगी मैं उससे इन सब चीज़ों का कोई अनुभव नही था . यूयेसेस औरात की तांगून के बीच मैं काफ़ी घमे बाल थे , और उसकी चुत के मोटे मोटे होंठ खुले हुए थे , उन होंठों के बीच मैं से एक गीला और गढ़ा सफेद एवं गुलाबी मिला जुला प़ड़ार्थ भारी मात्रा मैं बह रहा था . उसकी जनँघें और पैर सब उससी प़ड़ार्थ से भीगे हुए थे . यूयेसेस औरात के चेहरे पर एक नशे का और असीम संतुष्टि का भाव था वो मंद मंद मुस्कुरा रही और अपनी हथेलियों से अपने मुम्आंटी को सहला रही थी .और वो आदमी एक तरफ को पड़ा हुआ था , बिल्कुल तका हुआ लग रा था , ऐसा लग रहा था मानो कोई 10 किलोमीटर की दौड़ बिना रुके दौड़े आ रहा हो ,
बॉब्बी ने यूयेसेस आदमी लिंग देखा जो थोड़ा बड़ा था और अभी थोड़ा सा ठाना हुआ था , वो आदमी उससे धीरे धीरे सहला रा था , कुछ सफेद प़ड़ार्थ की बूँदें भी उसमे से निकल कर ज़मीन पर गिरी पड़ी तीन . यह सब देखके बॉब्बी को बड़ा अजीब पर रोमांचक महसूस हो रहा था , उसने नोटीस किया की उसकी पेंट मैं से उसका आधा निकला हुआ लॅंड अब टाइट हो गया था और उसका साइज़ भी कुछ बड़ा सा लग रहा था . बॉब्बी ने एक नार इता के अपना लॅंड उस आदमी के लॉड से मिला कर देखा तो उससे एकल और झटका लगा , उसका लॅंड यूयेसेस आदमी के लॉड से डेढ़ गुना बड़ा था ..

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अचानक पीछे से आई आवाज़ से बॉब्बी एक दम चौंक गया ! उसने जल्दी जल्दी अपना लॅंड अंदर करके पेंट की ज़िप लगाई और दौड़ते दौड़ते वापसी चल पड़ा . थोड़ी दूउर जाकर उसने देखा कालुआ उससे ढुंड रहा था और आवाज़ें लगा रहा था . वो पास पहुचा तो कालुआ बोला
“कहाँ रह गये थे बाबू ? मैं तो परेशन हो गया था ”
फिर आँखों मैं अजीब सी चमक लता हुआ बोला
” बाबू इस जंगल मैं ज़रा संभाल के रहना शैठान जानवर हैं यहाँ के . ”
कहके हासने लगा.
बॉब्बी को कुछ समझ नही आया . वो यूयेसेस चुदाई के सीन को याद कराता हुआ गहरी सोच मैं दूदबे अपने घोड़े की तरफ बढ़ गया और उसपेर चढ़कर फार्म की और चल पड़ा कालुआ के साथ .
फार्म पर पहूचकर उसने महसूस किया की उससे बहुत ज़ोरों का पिशब लगा है , वो तेज़ी से घोड़े से उतरा और कालुआ को घोड़े का ध्यान रखने का बोलकर फार्म के अंदर बने बाथरूम की तरफ दौड़ पड़ा.
फार्म मैं एक छोटा सा अपार्टमेंट रणदीप रातोरे ने बनवा रखा था जिसमे दो फ्लोर थे और दोनो पर एक एक बाथरूम था . जल्दबाज़ी मैं बॉब्बी बिना नॉक करे ही नीचे वाले बाथरूम मैं घुस गया .

बॉब्बी बिना खटखटाए बाथरूम मैं घुस गया …..
आगे ….

जल्दबाज़ी मैं उसने अपनी पेंट की ज़िप पहले ही खोल ली थी और उसका लॅंड उसकी हथेलियों मैं हिलोरे ले रहा था …फिर उसने नज़र उठे के सामने देखा ……

सामने का नज़ारा देखते ही उसके दिमाग़ मैं हज़रूण गुलाबी विस्फोट हो गये …उसकी साँस थम गयी और हड़बड़ाहट मैं उसका हाथ से उसका लॅंड छ्चुत गया और हवा मैं किसी मदमस्त हाथी की सूंड की तरह झूलने लगा

सामने दीक्षा शवर से बाहर निकल रही , उसके मखमली मुलायम और भरे हुए बदन से पानी तपाक रहा था …….. उसका गुदाज़ भरपूर अंग अंग हल्की रोशनी मैं चमक रहा था ………… वो नारी सौंदर्या की मिसाल लग रही थी …… उसकी बदन किसी एल की तरह बलखा कर लचक रहा था ……….. उसका इतना काम इच्छा जगाने वाला बदन , पानी की बूँदों से भी नही छ्चुत रहा था , बुरी तरह चिपकी पड़ी थी उसके अंग अंग से ……….

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बॉब्बी को आज भी याद था के कैसे दीक्षा की गहरी आँखें खुली की खुली रह गयी तीन ….कैसे बॉब्बी का झूलता लॅंड देखकर उसके गुलाबी रसिल्ले और मुलायम होंठ एक ‘ओ‚ की आकृति मैं खुले रह गये थे ……अफ तब से आज तक बॉब्बी उन होंठों को अपने लॉड के चारो तरफ लिपटे हुए और चुसते हुए दृश्यून की कल्पना करते हुए कई बार अपना अंडरवियर भिगो चुका था ……
कैसे उसकी आँखें दीक्षा के पूरे बदन का सफ़र अपनी लालिमा पूर्णा पुतलियों से पूरा कर रही थी ……..काले घनेरए लंबे बिखरे हुए बाल जो उसके कानो के उपर झूमते हुए उसके गूरी गूरी त्वचा को ढकने की असफल कोशिश कर रहे थे …… उसकी एक लत झूमती हुई भरे भरे उभरून के उपर इठलाती हुई कड़क निपल को चिढ़ा रही थी ……..फिर बॉब्बी की नज़रें ने दीक्षा के मुम्आंटी के बीच लहराती हुई एक पानी की बूँद का पीछा किया जो उसके सपाट पेट के उतारूण और चढ़ावों पर दौड़ती हुई उसकी नाभी के चिद्रा पर आकर रुक गयी , जैसे यूयेसेस नाभी की गहराइयों मैं उतार जाना चाहती हो , खुद को डुबोकर इस काम ज्वाला के सागर को पर कर देना चाहती हो ………… जैसे ही बॉब्बी की नज़र उसके हल्के से उभरे हुए बिना सलवटों वाले गोलाकार चौड़ाई लेते हुए पेट पर पड़ी तो उसने देखा की पेट का वो हिस्सा थरथरा रहा था मानो अपने अंदर चुप्पी हुई वासना की गर्मी को झटाकर शांति के झरने मैं बह जाना चाहता हो ………और आगे बढ़ते ही बॉब्बी के दिल ने उसका साथ छोड़ दिया ….एक हल्की काले बालों की पगडंडी पर सिहराते सिहराते चलने के बाद उसकी नज़रें सफेदे के पेड़ की शाखा के समान लंबी और और सुडौल टाँगों के बीच मैं आकर टिक गयीं ………. उन दोनो टाँगों के बीच एक पुष्ट लालिमा लिए शंख के आकर मैं अपनी कामुक तरंगें चारों और बिखेराती दीक्षा की चुत अपने परम सौंदर्या पर थी …….. बॉब्बी की आशा के बिल्कुल विपरीत वो एक दम सॉफ थी ….बिना किसी बाल के …….. एक बार तो बॉब्बी को भ्रम हुआ कोई वो कोई चुत नही बल्कि एक पुख़्ता सीप को देख रहा है जो अपने भीतर औरात के रस के मोतियों को छिपाए उसकी और आशा भारी निगाहों से देख रही है जैसे कह रही हो आओ मुझे अब इस उँचुए एकांत के पीड़ित जीवन से मुक्त कर दो ………………………………………………या गाव की भासा मैं यूँ कह लीजिए ….रे भयो बॉब्बी तो गियो

” आहेमम्म….. ”

दीक्षा के खंखरने की आवाज़ से बॉब्बी को जैसे करेंट लगा हो …… पर अभी भी वो जैसे किसी नशे मैं था ….उससे यह भी याद नही की किस तरह उसने सबक सबक ड्रामा बिखेराते हुए दीक्षा से माफी माँगी थी ….और किस तरह उसने किसी भोंडू की तरह बहाने बनाए थे की कैसे ओ बिना खटखटाए अंदर आ गया ……….इतने मैं दीक्षा ने अपने जिस्म पर तौलिया लपेट लिया था …….. इतना विहंगम दृश्या देखने के बाद उसका लॅंड भी बग़ावत कर गया था ……… पिशब आना तो दूउर बहुत कोशिश करने पर भी बॉब्बी मूठ नही पा रहा था उल्टे किसे सांड़ के खड़े सींग की तरह तन्ना कर खड़ा था , जैसे कह रहा हो आ जाओ किसमे दम है मेरे सामने अभी गौड़ के दिखता हूँ ……….. दीक्षा बड़े व्यानगपूरणा तरीके से यह सारा तमाशा देख रही थी.

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